टीम वर्क
माना कि जो दूसरे कर सकते हैं
हम वो नहीं कर सकते
लेकिन जो हम कर सकते हैं
वो दूसरे भी तो नहीं कर सकते
हुनर तो हर किसी में होता है
अपनी सबकी खासियत होती है
हममें कोई और ख़ास बात नहीं
फिर भी एक बात ज़रूर है
किसी को गिराकर
हम अपना कदम आगे नहीं रखते
चलो मिलकर कदम बढ़ाएं
बुलंदी को छूने का जज़्बा दिखाएं हम
महल तो ताश के पन्नों का भी बनता है
ज़रा सी हलचल में ही
सारे पन्ने रह जाते हैं बिखर के
कि ज़रूरी है राजा का होना लेकिन
प्यादे बिना वो भी कमज़ोर होता है
जीत की खातिर पीछे भी आना पड़ता है
मौन में भी असर बड़ा ज़ोर होता है
यकीनन समझदारी उसी को कहते हैं
एक अपनी जीत की खातिर जो
सम्पूर्ण व्यवस्था का नुकसान नहीं करते
ढेरों सूखे पत्ते मिलकर भी
अपनी शाख जमा लेते हैं कुछ पल को
अकेले तो हरे पत्ते भी बहुत देर नहीं टिकते
क्या बिसात है तेरी और मेरी यहां यारा
कुदरत की मर्ज़ी बिना तो
सूरज, चांद , तारे भी नहीं निकलते।
अनिता पाठक