राजनीति में महिलाएं
आधुनिक युग में महिलाओं की राजनैतिक भूमिका
परिचय : राजनीति वो क्षेत्र है जिसमें सक्रिय रूप से भाग लेकर व्यक्ति देश और समाज हित में अपना योगदान दे सकता है। पुरुष वर्ग तो शुरू से ही हर जगह सत्ता धारी रहा है लेकिन आज महिलाओं की सशक्त भूमिका को कोई नकार नहीं सकता।
महिलाओं की स्थिति :
हम यदि पहले के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि राजनीति में महिलाओं का आना पूर्णतः निषेध था। उनको सिर्फ घर की चार दीवारी में रखा गया। मई 2008 में “महिला आरक्षण विधायक” बिल राज्य सभा में रखा गया और संविधान में संशोधन के पश्चात पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए आरक्षित किया है। इसका उद्देश्य महिलाओं को आगे लाना है। ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के अनुसार, राजनीतिक क्षेत्र में महिला मंत्रियों की संख्या वर्ष 2019 के 23.1% से घटकर वर्ष 2021 में 9.1% तक पहुँच गई है।
राजनीति में महिला की भूमिका का महत्व :
i) महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता।
ii) महिलाओं को उनकी क्षमता के पूर्ण विकास का अधिकार।
iii) महिलाओं के आत्म प्रतिनिधित्व और आत्मनिर्णय का अधिकार।
महिलाओं के राजनीति में आने से लैंगिक भेदभाव खत्म होने के साथ उनको अपने विकास का मौका मिलेगा।
संविधान का फैसला :
73 वे और 74 वे संविधान संशोधन अधिनियम 1993 में पारित कर सरकार ने पंचायत में आरक्षण देकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया हैं. इस आरक्षण के फलस्वरूप पंचायत और नगत निकाय में भी महिलाये पंचायत प्रमुख और नगर परिषद् अध्यक्षा जैसी महत्वपूर्ण पद पर पहुँच सकी हैं. संविधान के अनुच्छेद 243 (घ) तथा 243 ( न) महिलाओ के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई हैं. इस व्यवस्था से फलस्वरूप सभी प्रान्तों में ग्रामीण एवम शहरी पंचायत के सभी स्तर पर कई महिलाओ जनप्रतिनिधि के रूप में अपनी सफलता का निर्वाह सफलता पूर्वक कर रही हैं.
निष्कर्ष:
राजनीति में महिलाओं की भूमिका देश को सुदृढ़ करने एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। वो अपनी सूझ बूझ से समाज में फैल रही कुरीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाने के साथ साथ पिछड़ी महिलाओं को जीने का अधिकार दिला सकती हैं।